Tuesday, June 28, 2022

Namaz

June 28, 2022 0 Comments

अल्लाह तआला ने हम लोगों को अपनी इबादत के लिए पैदा किया है। और इबादतों में सब से अफ़ज़ल इबादत नमाज़ है। इस का बढ़ना हर ( मुकल्ल्फ़ ) यानी बालिग पर दिन और रात में 5 वक़्त फ़र्ज़ है। 

1. फजर

2. ज़ुहर

3. असर

4. मग़रिब

5. ईशा

इरशादे नबवी है कि बच्चे जब 7 सात साल के हो जाये तो उन्हें नमाज़ पढ़ने का तरीक़ा सिखाना चाहिए और फिर पढ़ने की ताकीद करनी चाहिए। जब दस 10 साल के हो जाए और नमाज़ नही पढ़े तो उन्हें सजा भी देनी चाहिए।

  नमाज़ क़ज़ा कर देना बहुत बड़ा गुनाह है और बिल्कुल नही पढ़ना कुफ्र की इल्जामात है । नमाज़ की फ़र्ज़ीयत का इनकार करने वाला काफिर है। इस से इंकार करने वालों के लिए हमेशा के वास्ते दोज़ख का अज़ाब है।