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इस्लाम में येरूशलम तरीखी और मज़हबी दोनों लिहाज़ से बहुत अहम है। इस्लाम की मुक़द्दस किताब, कुरान, इस शहर का हवाला देता है और इसे इस्लामी तारीख की बहुत सारे अहम वाक़ियात और शख्सियात से जोड़ता है।
मेराज और रात का सफ़र (इसरा व मेराज):
इस्लामी रवायत के मुताबिक़, पैगम्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम ने मक्का से येरूशलम तक एक मुजज़ाती रात का सफर किया, जिसे असरा कहा जाता है, और मस्जिदे अक्सा से आसमान पर चढ़ गए। इस वाक़िया का तज़्किरा क़ुरान मजीद मे सुरतुल् असरा में आया है।
मस्जिदे अक्सा की तामीर:
येरूशलम के पुराने शहर में मौजूद मस्जिदे अक्सा को मक्का और मदीना के बाद इस्लाम का तीसरा मुक़द्दस तरीन मक़ाम समझा जाता है। मुसलमानो का अक़ीदा है कि मस्जिद को हज़रते सुलेमान अलैहिस्सलाम ने बनाया था और बाद में हज़रते ज़ुल् करनैंन ने उसकी पुनर्निर्माण कि थी। ये इबादतगाह है और इस्लामी वास्तुकला में इसकी बड़ी अहमियत है।
शुरवाती (प्रारम्भिक) इस्लामी खिलाफतें:
पैगम्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम की वफ़ात के बाद येरूशलम खिलफतें राशिदीन के क़ब्ज़े मे आगया। दूसरे खलीफा उमर बिन अल्ख़िताब ने 637 ईस्वी में पुर अमन तरीक़े से शहर का कंट्रोल संभाल लियालिया। चट्टान का गुम्बद्, एक मशहूर इस्लामी मज़ार, खलीफा अब्दुल मलिक के दौर में 691 ईस्वी में तामीर किया गया था।
सलेबी जंगे और येरूशलम की फतह:
येरूशलम ने धार्मिक जंगों के दौरान संघर्सो का एक सिलसिला देखा। सलाहुद्दीन एक मुस्लिम फौजी रहनुमा ने 1187 में कमियाबी के साथ सलिबियों से शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया। फतह के दौरान उसके अज़मत की अक्सर इतिहास में तारीफ़ की जाती है।
उस्मानी दौर:
येरुशलम सदियों तक उस्मानी सलतनत के अधीन रहा। उसमानियों ने शहर की तामिराती और स्क़फ़ती वर्से में अपना हिस्सा डाला, शहर की दीवारों और मुख्तलिफ इमारतों जैसे क़ाबिले ज़िक्र निशानात को पीछे छोड़ दिया।
ब्रिटिश जनआदेश और आधुनिक युग:
पहली जंगे अज़ीम के बाद येरुशलम ब्रिटिश कंट्रोल में आगया। शहर की हैसियत एक विवादित मुद्दा बन गई, जिसकी वजह से यहूदि और अरब कॉम्यूनिटिव के बीच तनाव पैदा हो गया, 1947 में अक़्वामे मुत्तहिदा ने तक़सीम का मंसूबा पेश किया, जिसके नतीजे में 1948 में रियासत इसराइल का क्याम अमल में आया और उसके नतीज़े मे तनाज़आत शुरू हुए।
येरुशलम आज:
ये शहर खित्ते में मज़हबी और सियासी तनाव का मर्कज़ बना हुआ है। यह इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष में एक प्रमुख तत्व है, जिसमें इजरायली और फिलिस्तीनी दोनों पूर्वी यरुशलम को अपनी रियासत के रूप में दावा करते हैं।
येरुशलम की इस्लामी इतिहास उसकी मज़हबी अहमियत के साथ गहराई से जुड़ी हुई है, जिसकी वजह से ये इस्लामी दुनिया मे एक पसंदीदा और विवादित शहर है।