Thursday, October 27, 2022

लाइब्रेरी विकसित समाज की पहचान है।


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लाइब्रेरी विकसित समाज की पहचान है। 

शिक्षा और सीख के सर्वांगीक और विशाल ज्ञान

यदि किसी समाज मे सब कुछ हो और एक लाइब्रेरी नहो 

समाज को नई विचार धार से जोड़ने के लिए

लाइब्रेरी विकसित समाज की पहचान है। 

पुस्तकप्रेमी, विद्यार्थी एवं विद्वान यह सब समाज के वह अंग हैं जो उसे हर समय, हर दिन एक नई दिशा, नया विचार और नई उड़ान देने का प्रयास करते रहते हैं। 

समाज को नई विचार धार से जोड़ने के लिए विद्वानों ने उसे गरुकुल, पाठशाला, विद्यालय, महा विद्यालय एवं विश्व विद्यालय की अस्थापना का मार्ग दिखाया। अर्थात गाँव, शहर, राज्य, देश विदेश हर जगह शिक्षा के केंद्र बनने लगे और आज बहुत काम ऐसी जगहें बच गई होंगी जहां शिक्षा का कोई माध्यम न हो। परंतु यह सब विधिबद्ध शिक्षा के केंद्र हैं। 

शिक्षा और सीख के सर्वांगीक और विशाल ज्ञान से समाज को जोड़ने के लिए एक बार फिर विचार किया गया। अंततः लोगों के मस्तिसक में क ऐसे केंद्र का ख्याल आया जिसे आज हम पुस्तकालय/ लाइब्रेरी कहते हैं। यहाँ विभिन्न प्रकार की, विभिन्न भाषाओं की, विभिन्न विषयों की हज़ारों लाखों पुस्तकें उपस्थित होती हैं जिन्हे पढ़ कर लोग समाज को नई दिशा देते हैं। 

यदि किसी समाज मे सब कुछ हो और एक लाइब्रेरी न हो तो वो समाज उन्नति की नई दुनिया से वंचित रह जाता है। और उन्नति एवं खुशहाली के रेस मे पीछे रह जाता है। हाँ, यदि इतना समय गुजरने के बाद भी कोई चाहता है कि वह अपने समाज को अपने लोगों को उन्नति की रेस मे आगे ले जाए तो उसे अपना समाज मे लाइब्रेरी कल्चर को बढ़ावा देना होगा। क्योंकि लाइब्रेरी विकसित समाज की पहचान है। 

हुबैरा मुहम्मदी, दारापट्टी

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