Contant
मानव एक सामाजिक जीव है।
एक रोटी खाने मे कितने लोगों पर निर्भर होता है ?
इसी तरह कपड़ा
यही हाल मकान का है।
एक दूसरे के सहायता के बिना कुछ नहीं
एक दूसरे की मदद करने वाला कल्चर देवलॉप करें
मानव एक सामाजिक जीव है।
उसे अपने हर काम के लिए किसी न किसी की मदद की जरूरत होती है। चाहे वह रोटी हो, कपड़ा हो या मकान।
एक रोटी खाने मे कितने लोगों पर निर्भर होता है ?
खुद देखें, यदि कोई व्यक्ति यह चाहता हो की वो रोटी खाए तो वह एक रोटी खाने मे कितने लोगों पर निर्भर होता है ? पहले किसान जो गेहूँ उगाये, फिर मजदूर जो फसल काटे, फिर खेत से उठा कर किसान के घर ले जाने वाले लोग, फिर मार्केट मे बेचने वाले लोग, फिर मार्केट से खरीद कर चक्की मे ले जाने वाले लोग, फिर चक्की मे आटा पीसने वाले लोग, फिर दुकान दार , फिर पकाने वाली औरत या बावर्ची तब जा कर कहीं आदमी एक रोटी खा पाएगा ।
इसी तरह कपड़ा
पहले कपड़ा बुनने वाले लोग, फिर उस की फिनिशिंग करने वाले लोग, फिर थान बना कर मार्केट मे लाने वाले लोग, फिर दुकानदार, फिर सूट काटने वाले लोग, फिर दर्जी, फिर धुलाई करने वाले लोग, फिर प्रेस करने वाले लोग।
यही हाल मकान का है।
पहले ईंट बनाने वाले लोग, फिर ईंट पकाने वाले लोग, फिर ईंट मार्केट मे लाने वाले लोग, फिर मकान मिस्त्री, फिर सीमेंट, सरिया , बालू और दूसरे सामान ।
एक दूसरे के सहायता के बिना कुछ नहीं
अर्थात आदमी एक एक इंच पर एक दूसरे के सहायता के बिना कुछ नहीं कर सकता । फिर यह कि मानव जाती की उन्नती के लिए जरूरी है कि समाज मे अमन, शांति, प्रेम और एक दूसरे के प्रति आदर और सम्मान का भाव हो। इस के लिए सारे मानव जाती को मिल जुल कर और एक दूसरे का सहारा बन कर जीवन व्यतित करना होगा।
एक दूसरे की मदद करने वाला कल्चर देवलॉप करें
यदि हम सब जाती धर्म और एलाका से उपेर उठ कर समस्त मानव जाती के बीच सद्भावना, प्रेम और एक दूसरे की मदद करने वाला कल्चर देवलॉप करते हैं तो आप यकीन करें की हमारा मानव समाज बहुत जल्द उन्नती की ओर बढ़ता दिखाई देगा। और जब हमारा समाज उन्नती करेगा तो इससे हमारा देश उन्नती करेगा।
Very useful mazmoon/assay
ReplyDeleteShukriya
Delete